गुजरात की एक विशेष अदालत ने साल 2008 के अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट मामले में 38 दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी, जिससे इस साल राज्य में ट्रायल कोर्ट द्वारा मौत की सजा पाने वाले लोगों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई।




विस्तार

गुजरात की निचली अदालतों में इस साल सबसे तेज सुनवाई हो रही है। इस साल अगस्त तक 50 लोगों को मौत की सजा देने के साथ ट्रायल कोर्ट की सुनवाई में तेजी से वृद्धि हुई है। हालांकि पिछले आंकड़े की बात करें तो  2006 और 2021 के बीच(15 साल के बीच) केवल 46 लोगों को मौत की सजा दी गई थी।


दरअसल, फरवरी 2022 में, एक विशेष अदालत ने 2008 के अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट मामले में 38 दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी, जिससे इस साल राज्य में ट्रायल कोर्ट द्वारा मौत की सजा पाने वाले लोगों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई। 2008 में अहमदाबाद में हुए सिलसिलेवार धमाकों में 56 लोग मारे गए थे और 200 से अधिक घायल हुए थे।


इस मामले के अलावा, विभिन्न शहरों में निचली अदालतों ने यौन अपराधों के लिए बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत दर्ज नाबालिगों के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामलों में भी दोषियों को मौत की सजा सुनाई। इसके अलावा ऑनर किलिंग के दो मामलों में भी आरोपियों को मौत की सजा दी गई।

2011 में अलग-अलग मामलों में मौत की सजा पाने वाले 13 दोषियों के अलावा, 2006 और 2021 के बीच संख्या चार से अधिक नहीं थी। 2010, 2014, 2015 और 2017 में, राज्य में ट्रायल कोर्ट द्वारा किसी भी व्यक्ति को मौत की सजा नहीं दी गई थी। 2011 में, 13 में से 11 दोषियों को 2002 के गोधरा ट्रेन नरसंहार मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी, जिसमें 59 लोग मारे गए थे।

16 साल में 2021 तक गुजरात हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट द्वारा मौत की सजा पाने वालों में से सिर्फ चार की सजा को बरकरार रखा था। इनमें 2002 के अक्षरधाम मंदिर हमले के तीन दोषियों को शामिल किया गया था, जिन्हें बाद में सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया था।