नई दिल्ली, किशोर ओस्तवाल। निवेशकों के मन में इस समय यह सवाल चल रहा होगा कि शेयर बाजार की मौजूदा बढ़त आने वाले समय में जारी रहेगी या थोड़े करेक्शन के बाद यह फिर स्टॉक एक्सचेंज फिर ऊपर चढ़ेगा। अगले 3 से पांच दिन में अगस्त सीरीज को पैटर्न को देखने के बाद इस सवाल का जवाब मिल सकता है। सामान्य तौर पर सेटलमेंट से सेटलमेंट के आधार पर मार्केट का ट्रेंड तय होता है। जुलाई सीरीज बढ़त के साथ खत्म हो चुका है और अब देखना यह है कि आगे भी यह ट्रेंड जारी रहता है या नहीं। वैश्विक स्तर पर जीडीपी में गिरावट के साथ-साथ वायरस नियंत्रण में आता नहीं दिख रहा है।

ऐसी परिस्थितियों में आइए हम समझने की कोशिश करते हैं कि आने वाले समय में शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव किन बातों पर निर्भर रहेगा। आने वाले दिनों में शेयर बाजार की चाल तीसरे प्रोत्साहन पैकेज, अमेरिका की लिक्विडिटी, पहली तिमाही के परिणाम के बाद रिलायंस के शेयरों की कीमत, तीन प्रमुख निजी बैंकों इंडसइंड बैंक, एक्सिस बैंक और आईसीआईसीआई बैंक में क्यूआईपी, एलआईसी आईपीओ और बीपीसीएल की रणनीतिक बिक्री पर निर्भर करेगी।  

कुल-मिलाकर कंपनियों के पहली तिमाही के परिणाम काफी शानदार रहे और विश्लेषकों की उम्मीद से बेहतर रहे और सीएनआई की टीम को छोड़कर सबको गलत साबित किया। स्ट्रीट आमदनी में 54 फीसद की कमी की उम्मीद कर रहा था, जो नहीं हुआ।  

आम तौर पर प्रोत्साहन पैकेज, तीन निजी बैंकों की QIP, एलआईसी आईपीओ और बीपीसीएल के विनिवेश की वजह से सेंटिमेंट के सकारात्मक बने रहने की उम्मीद है। हालांकि, रिटेल ने काफी अच्छी पोजिशन बनायी है लेकिन ऑपरेटर आसानी से उन्हें कमाने नहीं देंगे। इस वजह से ऊपर जाने से पहले बाजार में कुछ करेक्शन देखने को मिल सकता है।  

निफ्टी की तेजी में रिलायंस का योगदान अहम होता है। उसके बाद से HUL, ITC, INFOSYS और TCS का स्थान आता है। अच्छे रिजल्ट के बाद रिलायंस के शेयरों में करेक्शन का इतिहास रहा है और इस बार भी चीजें अलग नहीं हैं। हालांकि, RIL के शेयरों में कितना करेक्शन होगा, वह इस बात पर निर्भर करता है कि क्या यह 1950 रुपये के सपोर्ट लेवल को ब्रेक करेगा या नहीं। CLSA ने 1750 का टार्गेट सेट किया है लेकिन इसके लिए पहले इसे 1950 के लेवल को ब्रेक करना होगा। निफ्टी में आरआईएल का वेटेज 15 फीसद का है और निफ्ट्री के ट्रेंड का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है।  

पिछली बार जब हमने 700 पर Infosys और 2,000 पर TCS को खरीदने के लिए कहा था, तो वजह साफ थी कि आरआईएल के साथ मिलकर वे Nifty को ऊपर लेकर जाएंगे। Infosys अभी 1,000 के करीब है और TCS 2,300 से ऊपर है। रिलायंस के शेयरों में करेक्शन से निफ्टी 10,800 अंक के स्तर तक गिर सकती है। हमें इससे कोई दिक्कत नहीं होगी क्योंकि आने वाले समय में इसके जरिए ऊपर जाने का मुफीद प्लेटफॉर्म मिलेगा। हालांकि, अगर रिलायंस 1,950 अंक के नीचे आता है और निफ्टी भी 10,800 अंक के स्तर से नीचे आती है तो अगस्त सीरीज ज्यादा दिक्कत पेश आ सकती है।  

उल्लेखनीय है कि लाभ या हानि पूरी तरह से कुछ मजबूत पहलुओं पर निर्भर करते हैं। ऐसे में अगर LIC IPO और बीपीसीएल की रणनीति बिक्री अगस्त में नहीं होती है, तो निश्चित रूप से बाजार में करेक्शन होगा। प्रोत्साहन पैकेज आता है तो अच्छी बात होगी लेकिन तब भी मार्केट गिरेगा क्योंकि सरकार की और से मौद्रिक लाभ मिलना संभव नजर नहीं आ रहा है। दूसरी ओर बाजार हमेशा मौद्रिक मदद चाहता है। इसलिए हमारा मानना है कि इन वजहों से भी बाजार में करेक्शन हो सकता है और अगल रिलायंस के शेयर गिरते हैं तो निश्चित रूप से बाजार के सेंटिमेंट पर असर पड़ेगा।